सहकारिता क्षेत्र में विकास हेतु डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और इनोवेशन आवश्यक

14 Feb 2025 15:21:19
 
bfd
पुणे, 13 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
सहकारिता क्षेत्र में आई क्रांति ने भारत में गांवों से लेकर शहरों तक बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं. इसके अलावा, हरित क्रांति ने देश के सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाया है. हालांकि, सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन और डिजिटल इनोवेशन को प्राथमिकता देना आवश्यक है. क्योंकि, सहकारी क्षेत्र को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से जोड़ने के लिए डिजिटलाईजेशन महत्वपूर्ण है, यह राय अप्राका(एपीआरएसीए) बैंकॉक के महासचिव डॉ. प्रसून कुमार दास ने व्यक्त किया. सिकटैब अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन गुरुवार को वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वैम्निकॉम) में हुआ, जिसमें भारत सहित 13 देशों के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, नेताओं, नीति निर्माताओं और सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि अप्राका (एपीआएसीए) बैंकॉक के महासचिव डॉ. प्रसून कुमार दास, एनआईआरडी और पीआर हैदराबाद के महानिदेशक डॉ. जी. नरेंद्र कुमार, आईआईएम नागपुर के निदेशक डॉ. भीमराय मेत्री, एनसीयूआई की डिप्टी सीईओ सावित्री सिंह, श्रीलंका के सानसा के व्यवस्थापकीय संचालक समदानी किरीवांडेनिया और वैम्निकॉम की निदेशक डॉ. हेमा यादव एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि भारत सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए डिजिटलीकरण का केन्द्र बिन्दु बन गया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान लागू की गई थी. परिणामस्वरूप, गांवों तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़कें बनाई गईं. इससे सहकारी क्षेत्र के विकास को लाभ मिला. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कनेक्टिविटी अत्यंत महत्वपूर्ण है. समदानी किरीवांडेनिया ने कहा कि श्रीलंका में सहकारी क्षेत्र के शाश्वत विकास की दिशा में कदम उठाए गए हैं. सहकारिता क्षेत्र में भारत का आशिया में बडा योगदान है. हम भारत से सहकारिता के क्षेत्र में अनेक बारीकियां सीख रहे हैं. हमें खुशी है कि भारत सहकारिता के क्षेत्र में और अधिक प्रगतिशील हो रहा है. एशियाई महाद्वीप में भारत ने सहकारिता क्षेत्र में दुनिया में ख्याति अर्जित की है. सावित्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (सिकटैब) की स्थापना 1958 में हुई थी. यह संगठन हर साल 200 से अधिक कार्यक्रम आयोजित करता है. यह देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी क्षेत्र में दीर्घकालिक और अल्पकालिक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है तथा हर साल सात से आठ हजार व्यक्तियों को प्रशिक्षण देता है. यह संगठन नौ दशकों से अधिक समय से सहकारी समितियों को बढ़ावा देने और मजबूत करने में अग्रणी रहा है. डॉ.हेमा यादव ने कहा कि यह सम्मेलन समाज में छोटे और बड़े समुदायों को सशक्त बनाने और सहकारी क्षेत्र के माध्यम से सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सम्मेलन में विचार-विमर्श, विस्तृत अध्ययन और रणनीतिक कार्य योजनाएं शामिल होंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहकारी समितियां आर्थिक और सामाजिक प्रगति में अग्रणी बनी रहें.  
Powered By Sangraha 9.0