पुणे, 15 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) भारत एक कृषि प्रधान देश है. महाराष्ट्र में सहकारी क्षेत्र का नेटवर्क व्यापक रूप से फैला हुआ है. देश में सहकारी क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनना चाहिए, इसीलिए केंद्र सरकार ने सहकारिता वेिशविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है. सहकारिता वेिशविद्यालय विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद देश में पहला सहकारिता वेिशविद्यालय स्थापित किया जाएगा, यह जानकारी केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने दी. कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री महोदय ने यह पहला सहकारिता वेिशविद्यालय गुजरात में स्थापित होने के संकेत दिए. वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वैम्निकॉम) में आयोजित सिकटैब अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन के समापन समारोह में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने अपने विचार व्यक्त किए. इस अवसर इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद (आईआरएमए) के निदेशक डॉ. उमाकांत दास, एनआईबीएम के निदेशक प्रो. पार्थ रे सहित 13 देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल द्वारा इस संम्मेलन में सहभागी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधीयों को प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया. सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन भी मोहोल ने किया. केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है. देश में प्रायमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी (पैक्स) की उपयोगिता भी बढ़ गई है. पैक्स के माध्यम से किसान समृद्धि योजना को भी बढ़ावा मिल रहा है. पैक्स के माध्यम से एलपीजी सिलेंडरों का वितरण भी ग्रामीण स्तर पर हो रहा है. केन्द्र सरकार सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए भी काम कर रही है. खाद्य भंडारण कार्यक्रम शुरू किया गया है और देश भर में हजारों गोदाम बनाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि महिलाएं भी सहकारी क्षेत्र का भी नेतृत्व करें. अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता परिषद में विभिन्न विषयों पर सकारात्मक चर्चा हुई. मैं इसके लिए वैम्निकॉम को बधाई देता हू्ं. वैम्निकॉम के निदेशक डॉ. हेमा यादव ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन की तीन दिन मे हुए विभिन्न सेमिनारों के बारे में जानकारी दी.
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. इस पृष्ठभूमि पर देश भर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. कुछ दिन पहले 106 देशों के प्रतिनिधि दिल्ली आये थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने की आधिकारिक घोषणा की गई. देशभर में साढ़े आठ लाख सहकारिता संस्था हैं. इनमें से महाराष्ट्र में ढाई लाख सहकारी संस्था कार्यरत हैं. देश के पहले सहकारिता वेिशविद्यालय से वैम्निकॉम संस्थान को भी जोड़ा जाएगा.