पाषाण, 20 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)सीएसआईआर-एनसीएल ने हाल ही में अग्रणी अनुसंधान और नवाचार की अपनी शानदार यात्रा के 75 वर्ष पूरे किए हैं. सीएसआईआर-एनसीएल परिसर में 20 फरवरी को कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से महत्वपूर्ण प्लेटिनम जयंती समारोह मनाया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बायोकॉन ग्रुप की चेयरपर्सन डॉ. किरण मजूमदार-शॉ एवं डॉ. रघुनाथ माशेलकर उपस्थित थे. इस समारोह के द्वारा सीएसआईआर-एनसीएल की यात्रा और वैज्ञानिक प्रगति में इसके योगदान पर विचार करने के लिए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के लीडर्स एक मंच पर एकत्रित हुए. एनसीएल के निदेशक डॉ. आशीष लेले ने विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी रोडमैप के तहत प्रयोगशाला की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. डॉ.किरण मजूमदार-शॉ ने अपने भाषण में 1989 में सीएसआईआर-एनसीएल की अपनी पहली यात्रा को याद किया और नवाचार के लंबे इतिहास की सराहना की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब भारत के लिए नई दवाइयां और उन्नत तकनीकें विकसित करने का समय आ गया है. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकों द्वारा लाई गई रोमांचक संभावनाओं के बारे में बात की. डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में सीएसआईआर-एनसीएल के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया. उन्होंने संस्थान में विकसित की जा रही कई अत्याधुनिक तकनीकों पर प्रकाश डाला. जिनमें विभिन्न उद्योगों को लाभ पहुंचाने की क्षमता है. उन्होंने सीएसआईआर- एनसीएल से उभरी पांच मौलिक वैज्ञानिक सफलताओं को स्वीकार किया. उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी और महाराष्ट्र गैस क्रैकर कॉम्प्लेक्स विस्फोट सहित प्रमुख औद्योगिक आपदाओं को संबोधित करते हुए संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका पर मंथन किया. कार्यक्रम में प्लेटिनम जुबली विशेष प्रकाशनों का विमोचन किया गया. परंपरा के अनुसार अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्ट योगदानकर्ताओं और पूरे वर्ष विभिन्न पहलों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों और टीमों को एनसीएल रिसर्च फाउंडेशन पुरस्कार मुख्य अतिथि द्वारा प्रदान किए गए.