शादी में देरी होने के कारण कई समस्याएं आती हैं

23 Feb 2025 14:39:21

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पुणे, 22 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

इंट्रो- युवाओं में पढ़ाई और कैरियर के कारण शादी में देरी हो जाती है, जिसके कारण कई समस्याएं पैदा हो जाती है. कई बार तो ऐसे दंपति निःसंतान ही रह जाते हैं. इसके साथ ही ड्रग्स और अन्य कारण भी युवाओं को जिम्मेदारी लेने से दूर ढकेलते हैं. इन सभी समस्याओं के बारे में दै.आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल ने लोगों से बातचीत की प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश
- प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)
देर से शादी होने के कुछ फायदे भी हैं

वकीली पेशा होने की वजह से कोर्ट में हम रोज डिवोर्स के केस देखते हैं, तो यही समझ में आता है कि जब दो लोगों में प्रॉपर अंडरस्टैंडिंग ही नहीं है तो वह कैसे साथ में रह सकते हैं. काउंसिलिंग के दौरान पता चलता है कि ज्यादातर केसेस में लड़का और लड़की को यही नहीं पता होता कि उन्हें क्या चाहिए? घर-परिवार के लोग उनके हिसाब से अपने बच्चों की शादी कर देते हैं और अगर लव मैरिज है तो भावनाओं के वशीभूत होकर वे शादियां कर लेते हैं और फिर शादी के तुरंत दो-तीन साल में ही बात डिवोर्स तक आ जाती है. जल्दी मैरिज करने से युवक- युवती फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस भी नहीं हो पाते और जब शादी लेट यानी 30 के बाद होती है तो फाइनेंशियली लड़का और लड़की दोनों ही इंडिपेंडेंट हो जाते हैं और मानसिक तौर पर भी मेच्योरिटी आ जाती है इसलिए कई हद तक शादी देर से होने के फायदे भी हैं.
- एड. ज्योति पांचाल, मुंबई हाईकोर्ट
 

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युवाओं को ड्रग्स से दूर रहना चाहिए

समाज में बढ़ती लेट मैरिज की समस्या अब भयानक रूप लेकर हमारे सामने है. जहां तक मेरा अनुभव है. मुंबई, पुणे, दिल्ली इन कुछ शहरों में कुछ गैंग ऐसे हैं जो अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स को ड्रग्स की आदत लगाते हैं, जिसकी वजह से लड़के नपुंसक हो जाते हैं और लड़कियां बांझ बन जाती हैं और जब बच्चों को यह बात पता चलती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. इसके बाद बच्चों के पास कोई रास्ता ही नहीं रहता फिर जब घर में शादी की बात चलती है तो पहले तो वह शादी के लिए ना कहते हैं और अगर किसी तरह शादी हो भी गई तो फिर उन्हें बच्चे नहीं चाहिए यह कहते हैं. शादी और बच्चे नहीं करने का दरअसल असल कारण कुछ और ही होता है. लेकिन स्कूल कॉलेज के स्टूडेंट्स में ड्रग्स की आदत देर से शादी होने का एक कारण है.
- एड. अश्विनकुमार उपाध्याय, सुप्रीमकोर्ट, नई दिल्ली
 
 
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माता-पिता बच्चों को शादी का महत्व समझाएं

आजकल हर समाज में शादियां लेट होती नजर आ रही हैं.उसके पीछे अनेक कारण है.आजकल की जनरेशन में इनसिक्योरिटी आ रही है क्योंकि उन पर वेस्टर्न कल्चर का असर ज्यादा है. इसलिए वे शादी के बंधन में रहकर कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते. यही नहीं वे अपने माता-पिता को भी अपने घरों में नहीं रखना चाहते इसलिए वृद्धाश्रम की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान करवाए और शादी का महत्व समझाएं. जिससे वे सही समय पर शादी करने का निर्णय ले सकें.
 - एड. नवीन अग्रवाल, औरंगाबाद
 

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माता-पिता द्वारा बच्चों का मार्गदर्शन करना आवश्यक

आजकल शादियां 27- 28 साल के बाद होना आम बात हो गई है. इसके लिए बच्चे जिम्मेदार नहीं है, बल्कि बच्चों के मां- बाप खुद जिम्मेदार हैं. आजकल लड़कों के मां-बाप को अपने लड़के के लिए ऐसी लड़की चाहिए जो जॉब भी करती हो और घर का काम भी करती हो, वहीं लड़की के माता पिता को हैंडसम, करोड़पति लड़का चाहिए. शादियां बस समाज में स्टेट्स दिखाने का माध्यम बनती जा रही है. आजकल बच्चे एजुकेटेड है उन्हें अपनी शादी में यह दिखावा नहीं चाहिए होता वह तो सिंपल शादी करना चाहते हैं और वक्त रहते सेटल भी होना चाहते हैं. अगर हमें यह सब रोकना है तो शुरुआत घर से ही करनी पड़ेगी.युवाओं के मार्गदर्शन के लिए सेमिनार, वर्कशॉप के माध्यम से लेट शादी के दुष्प्रभाव बताएं जाएं तो उनकी सोच बदल सकती है.
-सुनीता नरेंद्र अग्रवाल, कोथरूड
 

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 देर से शादी होने से परिवार बढ़ाने में समस्या आती है


आजकल की युवा पीढ़ी अपने करियर पर ज्यादा फोकस करती है, वे शादी से पहले अपने-आप को सेटल करने की कोशिश करते हैं. जल्दी या सही समय पर शादी करके वे अपने आप को बंधन में बांधकर नहीं रखना चाहते, ऐसा करने से वह एक तरफ से फाइनेंशियल या कैरियर में तो सेटल हो जाते हैं लेकिन दूसरी तरफ इसका दुष्परिणाम भी झेलना पड़ता है. मेरा तो मानना है कि बच्चों को अपनी 24 या 25 की उम्र में ही शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि लेट मैरिज से फायदे से ज्यादा नुकसान ही हैं. सबसे ज्यादा तो फैमिली आगे बढ़ाने में प्रॉब्लम आती है और अगर बच्चे लेट होते हैं या नहीं होते हैं तो उम्र के अंतिम पड़ाव में जब बच्चों का सहारा चाहिए होता है तब उन्हें वह नहीं मिल पाता.
-विनोद अग्रवाल, रामनगर, चिंचवड़
 

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 पढ़ाई और कैरियर के चक्कर में शादी की उम्र निकल जाती है

आजकल हर मां-बाप को दो या तीन बच्चे होते हैं. इसीलिए उन्हे अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं और उसके बाद नौकरी के लिए बच्चे बाहर चले जाते हैं. इस चक्कर में बच्चों की उम्र 25 के पार हो जाती हैं. उसके बाद मां-बाप उनके लिए विवाह की सोचते हैं और फिर अच्छे से अच्छे जीवन साथी ढूंढने के चक्कर में और 2-4 साल निकल जाते हैं. हर मां-बाप अपने बच्चों को शहरों में ही शादी करने की सोचते हैं, जिससे उनके बच्चों के बच्चों को अच्छी पढ़ाई की सुविधा मिल सके. सब लोग नौकरी वाले लड़के ढूंढ़ते हैं क्योंकि नौकरी वाले बच्चों की संख्या कम हैं और जब नौकरी वाले नहीं मिलते तब वह बाकी लड़कों की तरफ देखते हैं.इस बात का समाधान ढूंढने के लिए लड़की जितनी पढ़ी लिखी हैं उस हिसाब से लड़का ढूंढना चाहिए. यदि लड़की कम पढ़ी लिखी हैं तो उनको उनकी शादी व्यापारी या अन्य professional लोगों से कर देनी चाहिए.
-कमलकिशोर रामगोपाल पालड़ीवाल, पिंपरी
 

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 देर से शादी के कारण कुटुंब परंपरा चरमरा रही है

 हमारे समाज में आज कल देर से शादी करने का एक फैशन ही बनता जा रहा है लेकिन देर से शादी करने के कारण अनेक समस्या अब समाज में उत्पन्न हो गई हैं जैसे कि बढ़ती तलाक की संख्या जिससे पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं में भी कमी अब साफ-साफ दिखाई दे रही है, इस के अलावा, हमारी कुटुंब व्यवस्था भी चरमरा रही हैं क्योंकि महिलाओं की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती हैं, जिससे गर्भधारण में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. यही नहीं, देर से शादी करने के और भी अनेक दुष्परिणाम हैं जो सभी को पता हैं, अगर हमें यह रोकना है तो शुरुआत घर से ही करनी होगी. हर माता-पिता को ही वक्त रहते अपने बच्चों को समय पर शादी करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
-नरेंद्र अग्रवाल (राज ग्रुप), निगड़ी
 
 
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युवाओं का पढ़ाई और कैरियर में ज्यादा समय चला जाता है

आजकल बच्चों में कैरियर बनाने की एक होड़ सी लगी है. किसको कितना पैकेज है? यह अब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है. उम्र के 20-22 साल पढ़ाई में चले जाते हैं फिर जॉब ढूंढने में और फिर आगे बढ़ने की चाहत में. उसके बाद भी यदि विदेश जाने के लिए ऑफर आया तो उम्र-28 साल के पार हो जाती है. फिर स्थिति यह आती है कि लड़की 30 और लड़का 27 साल का ऐसे में दोनों को कम्प्रोमाइज करने की नौबत आ जाती है और 70% लोग कंप्रोमाइज करना ही नहीं चाहते, ऐसे में अगर पेरेंट्स बचपन से ही अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ शादी समय पर करने का महत्व समझाएंगे तो समस्या नहीं आएगी.
- अमरजीत सिंह, कासरवाड़ी पुणे
 
 
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