पुणे, 2 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) श्री शांतिनाथ ेशे.मू.जैनसंध लोनावाला में पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी आदि साधुसाध्वीजी की पावन निश्रा में श्री शांतिनाथ जिनालय की 128वीं वर्षगांठ उत्साहपूर्वक मनाई गई. ध्वजा के लाभार्थी जयंतीलाल हिम्मतलाल बोराणा राठौड़ परिवार चतुर्विध संघ के साथ रथ पर सवार होकर श्री शांतिनाथ जिनालय आये. वरघोड़े में श्री महावीर प्रसाद वितरित कर लोगों का मुंह मीठा कराया गया. ध्वजा पर पुष्प वर्षा की गई. ध्वजारोहण के अवसर पर पं. राजरक्षितविजयजी ने विशाल जनसमूह को बताया कि मंदिर का ध्वज दण्ड शुभ ऊर्जा को ग्रहण कर जीवन में सकारात्मक तरंगें उत्पन्न करता है. मंदिर का बहुत प्रभाव है. इसे ऐसा मंदिर कहा जाता है जो भटकते मन को अंदर ले जाता है. मुगल काल में मंदिर और मूर्ति भंजन का दौर था. वर्तमान समय मूर्ति भंजन का नहीं बल्कि आस्थाभंजन का समय है. मैकाले शिक्षा ने ईेशर के प्रति आस्था पर गहरी चोट की है. नए मन्दिर बन रहे हैं. लेकिन मंदिर जाने वाले युवाओं की संख्या कम हो रही है. ध्वजारोहण अवसर पर उपस्थित सभी भाई-बहनों को भीष्म संकल्प लेना है. सब कुछ बिना चलेगा, लेकिन भगवान के बिना नहीं एक व्यापारी का बैंक पर भरोसा टूट सकता है. नौकर का सेठ पर से भरोसा टूट सकता है, लेकिन भक्त का भगवान पर भरोसा कभी नहीं टूटता. प्रभु के घर देर हैं, मगर अँधेर नहीं है. जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते हैं, मेरे दुःख के दिनों वो हर बार आते हैं. पंन्यास नयरक्षितविजयजी ने बच्चों को प्रत्येक रविवार को पूजा करने के लिए प्रेरित किया. डॉ. शैलेश शाह ने एक साल तक बच्चों के प्रभावना का लाभ लिया. 3 फरवरी को श्री मुनिसुव्रत जिनालय की ध्वजारोहण के अवसर पर जयानंद धाम लोनावला पहुंचेंगे. 8 और 9 फरवरी को जयानंद धाम में पारिवारिक मिलन समारोह है.