सार्वजनिक सेवा के लिए जीवन समर्पित करें ः डॉ. अभय बंग

05 Feb 2025 10:19:39
 
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 पुणे, 4 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
आज देश में 11 करोड लोगों को स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलती. उनकी सेवा में अपना जीवन समर्पित करें. विनोबा भावे ने जय जगत शब्द का उच्चारण किया था. मंगलवार को डॉ. वेिशनाथ कराड वेिश शांति के लिए कार्य कर रहे है. यह विचार सामाजिक कार्यकर्ता एवं सर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अभय बंग ने व्यक्त किये. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट पुणे द्वारा आयोजित ‌‘भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार 2025‌’ का वितरण हुआ. इस समय लाइफ अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करने के बाद वे बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष वेिशधर्मी प्रो.डॉ. वेिशनाथ कराड ने निभाई. इस अवसर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर और अबू धाबी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. तैयब कमाली बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
 
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार समिति के संयोजन डॉ. राहुल वेिशनाथ कराड, मंगेश कराड और कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस उपस्थित थे. इस अवसर पर आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. भरत भास्कर को भारत अस्मिता आचार्य श्रेष्ठ पुरस्कार, वेिश स्वास्थ्य संगठन के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक तथा एम.एस.स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्षा डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को भारत अस्मिता विज्ञानत ंत्रज्ञान श्रेष्ठ पुरस्कार, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं लेखक विवेक अग्रिहोत्री तथा विख्यात गायक एवं संगीतकार शेखर सेन को भारत अस्मिता जनजागरण श्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार स्वरूप प्रत्येक को 2.50 लाख रूपये, एक प्रमाण पत्र और एक स्मृतिचिन्ह प्रदान किया गया. डॉ. अभय बंग ने कहा कि आज का युग भौतिकवादी दुनिया की ओर बढ रहा है. लेकिन यहां विज्ञान, अध्यात्म और विवेकानंद का संगम देखकर खुशी हो रही है.
 
आज का यह पुरस्कार गढचिरौली के सभी नागरिकों को समर्पित है. प्रो.डॉ. वेिशनाथ कराड ने कहा कि संत ज्ञानेेशर महाराज के बताए मार्ग पर चलकर हम वेिश को विनाशकारी दिशा में जाने से रोक सकते है. डॉ. राहुल कराड ने कहा कि भारत अस्मिता पुरस्कार हमारे राष्ट्रीय गौरव का निर्माण करने का एक तरीका है. आज के समय में, सभी युवाओं को अपनी विचारधारा यानी औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है. इंडिया के बजाय, भारत शब्द का उच्चारण आपको ऐसा महसूस कराता है. कार्यक्रम का संचालन प्रो.डॉ. गौतम बापट और आभार डॉ. मंगेश कराड ने माना.
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