पिंपरी, 5 फरवरी (आ.प्र.)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को फैसला सुनाया था कि 1997 से मनपा में काम कर रहे घंटागाड़ी सफाई कर्मचारियों को बरकरार रखा जाए. मनपा ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. इस पर 28 साल की कानूनी लड़ाई के बाद घंटागाड़ी सफाई कर्मचारियों के लिए मनपा के स्थायी कर्मचारी बनने का रास्ता साफ हो गया है. इसको लेकर घंटागाड़ी मजदूरों ने मनपा के सामने जश्न मनाया. वर्ष 1997 से 2000 तक पिंपरीचिंचव ड मनपा ने सफाई कार्य के लिए 353 कर्मचारियों की नियुक्ति की. हालांकि, मनपा ने इन सभी श्रमिकों को श्रमिक नियुक्त करने के बजाय ठेकेदार नियुक्त करने का अजीब कदम उठाया. यह सभी कर्मचारी मनपा की घंटागाड़ी पर ठेकेदार प्रणाली से काम कर रहे हैं. मनपा द्वारा यह कहे जाने पर कि उन्हें मनपा द्वारा स्थायी नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनकी नियुक्ति ठेकेदारी प्रणाली के अनुसार की गई थी, इन कर्मचारियों ने श्रमिक संघ के माध्यम से वर्ष 1999 में पुणे औद्योगिक न्यायालय में मुकदमा दायर किया.
कर्मचारियों को मनपा में रखने का फैसला सुनाया
वर्ष 2003 में औद्योगिक न्यायालय ने श्रमिकों के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके खिलाफ मनपा हाईकोर्ट चला गया. हालांकि, 30 जनवरी 2023 को औद्योगिक न्यायालय ने फिर से घंटागाड़ी कर्मचारियों को मनपा में ही रखने का फैसला सुनाया. इसके खिलाफ मनपा ने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. 20 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने घंटागाड़ी कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया और मनपा को उन्हें काम पर रखने का आदेश दिया. हालांकि, मनपा ने इस फैसले के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया. इस अपील को मनपा कर्मचारी महासंघ, पीसीएमसी यूनियन और श्रमिकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी गई. हालांकि, सोमवार 3 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मनपा की अपील खारिज कर दी. मनपा को 28 साल बाद भी घंटागाड़ी सफाई कर्मचारियों को स्थायी तौर पर रखना होगा.
स्थायी वेतन में केवल 2 वर्ष का अंतर मिलेगा
मनपा के लिए वर्ष 1997 से काम कर रहे घंटागाड़ी कर्मचारियों को स्थायी पदों की कमी के कारण अल्प वेतन पर काम करना पड़ रहा था. उन्हें स्थायी मनपा कर्मचारियों को उपलब्ध किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिला. इसी प्रकार, इन श्रमिकों को अवैतनिक अवकाश लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उन्हें वेतन सहित अवकाश भी नहीं मिल रहा था. चूंकि इन श्रमिकों को हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार 30 जनवरी, 2023 से स्थायी किया जाएगा.