धार्मिक भावनाओं से सरदार पटेल अस्पताल को बनाया जा रहा टार्गेट

06 Feb 2025 14:51:56

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पुणे, 5 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल में ब्रदर को मंगलवार (3 फरवरी) रात को कुछ बदमाशों ने क्रिश्चन धर्म का प्रचार करने का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीटा. लेकिन पुलिस ने घटना के लिए अस्पताल को दोषी ठहराया और असामाजिक तत्वों द्वारा अस्पताल के खिलाफ दी गई शिकायत दर्ज की. दहशत के माहौल में हम लोग काम नहीं कर सकते, इसको लेकर अस्पताल कर्मचारियों ने बुधवार सुबह धरना आंदोलन किया. मरीजों की देखभाल करना यह नोबल प्रोफेशन है, इसलिए अस्पताल में किसी धर्म के प्रचार या प्रसार का सवाल ही नहीं उठता. फिर भी कुछ असामाजिक तत्व अस्पताल को निशाना बना रहे हैं. इस तरह का व्यवहार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, केवल रुग्ण की सेवा को प्राथमिकता जाएगी. यह भूमिका अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट की है. मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे पुणे कैन्टोंन्मेंट बोर्ड के सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल में यह घटना घटी. एक मरीज की महिला रिश्तेदार व्यक्तिगत रूप से अपनी प्रार्थना कर रही थी. उसी समय कुछ लोग अस्पताल के मेल वार्ड में आये. वहां एक अन्य महिला का भी उस महिला से विवाद हो गया. व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना करने वाली महिला को भी पीटा ऐसे स्टाफ में चर्चा थी. इस बीच ब्रदर अमोल जाधवर (उम्र 35) उस समय ड्यूटी पर थे. उन्होंने विवाद को सुलझाने का प्रयास किया. लेकीन अमोल को उन लोगों ने बेरहमी से पीटा. ड्यूटी पर मौजूद अन्य नर्सों ने अमोल को बचाने के लिए बीच में हस्तक्षेप किया. फिर भी उन लोगों ने अमोल को घसीटते हुए ले जा कर उसे बेरहमी से पिटा. अस्पताल में काम करते समय अमोल की पिटाई की गई. इसलिए अस्पताल प्रशासन ने लश्कर थाने की पुलिस को सूचना दी. पुलिस रात को अस्पताल आई. लेकिन अस्पताल प्रशासन की उन्होंने कुछ नहीं सुनी और इसके विपरीत, उन्होंने अस्पताल प्रशासन को दोषी ठहराने की कोशिश की. ऐसा अस्पताल प्रशासन का कहना है. अस्पताल की रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ. उषा तपासे भी रात 12 बजे तक लश्कर पुलिस स्टेशन में थीं. अस्पताल प्रशासन ने शिकायत की कि पुलिस ने मंगलवार रात को कोई सहयोग नहीं किया. अस्पताल में किसी भी धार्मिक विषय को बढ़ावा या प्रचारित नहीं किया जाता है. अस्पताल प्रशासन सदैव मरीजों की सेवा में कार्यरत है, जिसका एकमात्र उद्देश्य मरीज की सेवा करना है. इसलिए न्याय मिलने के उद्देश्य से, बुधवार (5 फरवरी ) सुबह अस्पताल कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. मंगलवार रात को पुलिस ने अस्पताल प्रशासन की एक भी नहीं सुनी. गुस्साए कर्मचारी बुधवार सुबह लश्कर थाने पहुंचे और धरना दिया. अंततः पुलिस ने कर्मचारियों की बात मान ली और एफआईआर दाखल किया. उसके बाद कर्मचारि फिर काम पर लौटे. पटेल अस्पताल की रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ.उषा तपासे ने कहा कि अस्पताल का किसी भी व्यक्ति की निजी धार्मिक प्रार्थना से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, उन उपद्रवियों ने अराजकता पैदा करने और अस्पताल को बदनाम करने की कोशिश की. अस्पताल का धार्मिक मामलों से कोई लेना- देना नहीं रहता. ड्यूटी पर मौजूद ब्रदर अमोल जाधवर को बुरी तरह मारा-पीटा. मरीजों की देखभाल डॉक्टरों सहित सभी कर्मचारियों की एकमात्र भूमिका रहती है.  
 
120 बिस्तरों वाले सरदार पटेल हॉस्पिटल में केवल 9 सिक्योरिटी गार्ड ही ड्यूटी पर मौजूद
लगभग 120 बिस्तरों वाला सरदार पटेल अस्पताल है. फिर भी वहां केवल नौ सिक्योरिटी गार्ड ही ड्यूटी पर हैं. ये सिक्योरिटी गार्ड तीन शिफ्टों में काम करते हैं. प्रत्येक शिफ्ट में तीन में से एक सिक्योरिटी गार्ड मेटरनिटी वार्ड में तैनात किया जाता है. शेष दो सिक्योरिटी गार्ड पर पूरे अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी आती हैं. रिश्तेदार हर दिन मरीज से मिलने अस्पताल आते हैं. इसलिए अस्पताल प्रशासन के लिए हर एक व्यक्ति की जांच करना संभव नहीं है. दो महीने पहले एक व्यक्ति की अस्पताल की छत पर मौत हो गई थी. अस्पतालों में ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए,ऐसा नागरिकों का कहना है. इससे अस्पताल की छवि खराब होती है. अस्पताल की छवि खराब ना हो, इसलिए सिक्योरिटी गार्ड की संख्या बढ़ाने की सख्त जरूरत है. लेकिन ऐसा लगता है कि पुणे कैन्टोंन्मेंट बोर्ड इसकी अनदेखी कर रहा है. डॉ.उषा तपासे ने बताया कि बुधवार सुबह सीईओ सुब्रत पाल को घटना की सूचना दी गई. उन्होंने अस्पताल स्टॉफ को सहयोग का ओशासन दिया. इसके लिए उन्होंने ऑफिस सुपरिटेंन्डेंट रॉबर्ट जैकब को अस्पताल में हुई घटना की जानकारी लेने के लिए भेजा था. हालांकि, कुछ उपद्रवी तत्व धार्मिक आधार मुद्दा बना कर अस्पतालों को अनावश्यक रूप से निशाना बना रहे हैं. हमें मिली हुई प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इनमें से कुछ लोग ढेकरेनगर, हडपसर के हैं. पुलिस ने घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज कर ली है.  
 
स्टाफ पर झूठा आरोप निंदनीय

डॉ. महेश दलवी ने कहा कि जब कर्मचारी अस्पताल में ड्यूटी पर होते हैं कानूनी तौर पर तो उन्हें कोई भी हाथ भी नहीं लगा सकता. अस्पताल के स्टॉफ पर झूठा आरोप लगाना और मारपीट करना निंदनीय है. पुलिस ने मंगलवार रात को पीटे गए ब्रदर अमोल जाधवर का मेडिकल चेकअप भी नहीं कराया. बुधवार की सुबह पुलिस उस को मेडिकल जांच के लिए ससून अस्पताल ले गई. मारपीट करनेवाले लोग किस संगठन से संबंधित हैं? इसका पता लगाना पुलिस का काम है. सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर ब्रदर अमोल जाधवर की पिटाई होती दिख रही है. अस्पताल प्रशासन जांच में पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.
 
सीईओ सुब्रत पाल अस्पताल में कर्मचारियों से नहीं मिले

सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल पुणे कैन्टोंन्मेंट बोर्ड की इमारत के ठीक सामने है. मारपीट की घटना की जानकारी मिलने के बाद भी सीईओ सुब्रत पाल कर्मचारियों से मिलने नहीं आए. उन्होंने ऑफिस सुपरिटेंन्डेंट रॉबर्ट जैकब को जानकारी लेने के लिए अस्पताल भेजा. हालांकि अस्पताल स्टॉफ का कहना है कि अगर सीईओ खुद आते तो अस्पताल स्टॉफ को भी राहत मिली होती. इस बारे में सीईओ सुब्रत पाल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. अस्पताल के कर्मचारियों की सुरक्षा के संबंध में सीईओ की क्या भूमिका होगी? इसके अलावा, अस्पताल की छवि खराब न हो, इसके लिए वे क्या भूमिका निभाएंगे? इस तरह के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर अभी भी अनुत्तरित हैं.
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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