केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने एक बार फिर जातिगत भेदभाव काे लेकर टिप्पणी की. उन्हाेंने कहा कि मैं जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता हूं. चाहे मुझे फिर वाेट मिले या न मिले. चुनाव हारूं या जीतूं, अपने सिद्धांत नहीं छाेडूंगा. उन्हाेंने कहा कि लाेग जाति के आधार पर मुझसे मिलने आते हैं. मैंने उन सबसे 50,000 लाेगाें में कह दिया कि जाे करेगा जाति की बात, उसके कस के मारूंगा लात.उन्हाेंने कहा, मैं धर्म और जाति की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं करता. चाहे चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, मैं अपने इस सिद्धांत पर अटल रहूंगा. केंद्रीय मंत्री ने नागपुर में सेंट्रल इंडिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समाराेह में शामिल हुए. उन्हाेंने कहा, किसी व्यक्ति का मूल्य जाति, धर्म, भाषा या लिंग के बजायउसके गुणाें से निर्धारित हाेना चाहिए. किसी व्यक्ति काे उसकी जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग से नहीं, बल्कि उसके गुणाें से जाना जाता है. इसलिए हम जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे.
गड़करी ने कहा कि वह अपने सिद्धांताें पर अडिग रहे. उन्हाेंने कहा मैं राजनीति में हूं और यहां यह सब चलता रहता है, लेकिन मैं इससे इनकार करता हूं भले ही इससे मुझे वाेट मिले या न मिले. मैं अपने हिसाब से चलता हूं. हमारे समाज में जिस समुदाय काे शिक्षा की आवश्यकता है, वह मुस्लिम समुदाय है. दुर्भाग्य से, मुस्लिम समुदाय में चाय की दुकान, पान की दुकान, कबाड़ का काराेबार, ट्रक चलाना और सफाई जैसे कुछ ही व्यवसायाें काे महत्व मिला है. अगर हमारे समाज के लाेग इंजीनियर, डाॅक्टर, आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन जाते हैं, ताे हमारा समाज विकसित हाेगा. हम मस्जिद में साै बार नमाज पढ़ सकते हैं. लेकिन, अगर हम विज्ञान और प्राैद्याेगिकी काे नहीं अपनाएंगे, ताे हमारा भविष्य क्या हाेगा? उन्हाेंने पूछा. पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का हवाला देते हुए उन्हाेंने कहा, काेई व्यक्ति जाति, पंथ, धर्म, भाषा या लिंग से महान नहीं बनता.मेरा मानना है कि वह गुणाें से महान बनता है.