मुंबई, 23 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
आज के तकनीकी युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( एआई) प्रबंधन और संवाद के क्षेत्र में एक प्रभावशाली उपकरण बनकर उभरा है. जनसंपर्क का क्षेत्र वेिशास पर आधारित होता है. एआई और चैटजीपीटी जैसे तकनीकों ने इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया है. एआई, चेट जीपीटी जैसे सभी टूल्स उपलब्ध हैं इनका सही तरीके से उपयोग करना सीख्ें. इन टूल्स का प्रयोग करके जनसंपर्क के कार्यों को और बेहतर और प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, ऐसा प्रतिपादन सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के प्रधान सचिव एवं महानिदेशक बृजेश सिंह ने किया.
राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के अवसर पर पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया मुंबई शाखा की ओर से प्रेस क्लब में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिम्मेदार उपयोग: जनसंपर्क की भूमिका' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में वे मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में द इकनॉमिक टाइम्स के कार्यकारी संपादक मुकबिल अहमर, पीआरएसआई मुंबई शाखा की अध्यक्ष अनीता श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष राजेश परिडा, सचिव डॉ. मिलिंद आवताडे, कोषाध्यक्ष अमलान मस्कारेनहास, मुंबई वेिशविद्यालय के जनसंचार विभाग की प्रा. दैवता पाटिल, जनसंपर्क एवं पत्रकारिता क्षेत्र के विभिन्न गणमान्य व्यक्ति और मुंबई वेिशविद्यालय के जनसंचार व पत्रकारिता पाठ्यक्रम के विद्यार्थी उपस्थित थे.
प्रधान सचिव श्री बृजेश सिंह ने कहा कि भले ही एआई को मानवीय भावनाएं समझ में नहीं आतीं, फिर भी भावना विश्लेषण और प्रतिक्रिया संकलन में इसकी कार्यक्षमता काफी अधिक है. तकनीक लगातार बदल रही है. जो व्यक्ति नए कौशल सीखता रहता है, वही टिक पाता है. आज एआई है, कल कुछ और आएगा लेकिन यदि आपने सीखने और स्वयं को ढालने का नजरिया अपनाया, तो आप कभी पिछड़ेंगे नहीं. मुकबिल अहमर ने कहा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक बिल्कुल अलग कदम है, क्योंकि पहली बार किसी तकनीक में निर्णय लेने की क्षमता आई है. कंप्यूटर टाइपराइटर की जगह ले सकता है, लेकिन वह मानव के आदेशों पर चलता है. एआई स्वयं सीखता है और निर्णय भी लेता है. दुनिया के 60 देशों ने अब तक राष्ट्रीय एआई नीति बनाई है. कार्यक्रम का प्रारंभिक भाषण अनीता श्रीवास्तव ने किया. संचालन प्रा. दैवता पाटिल ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. मिलिंद आवताडे ने किया.