पुणे, 24 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पहलगाम में हुए अमानवीय आतंकी हमले ने पुणे शहर को झकझोर कर रख दिया. इस हमले के शिकार हुए दो जिगरी दोस्त, संतोष जगदाले और कौस्तुभ गनबोटे का अंतिम संस्कार गुरुवार को पुणे के नवी पेठ स्थित वैकुंठ श्मशानभूमि में शोकाकुल वातावरण में किया गया. सुबह 9:30 से 11:30 बजे तक चली अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में नागरिक, रिश्तेदार, राजनेता और कार्यकर्ता शामिल हुए. पुणे हवाई अड्डे पर जब इन दोनों मित्रों का पार्थिव शरीर विशेष विमान से लाया गया, तब पूरा वातावरण गमगीन हो उठा. संतोष जगदाले का शव सुबह 7:30 बजे उनके कर्वेनगर स्थित ज्ञानदीप कॉलनी के निवास पर और कौस्तुभ गनबोटे का शव उनके कोंढवा बुद्रुक स्थित सालवे गार्डन निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था. उनके अंतिम दर्शन के लिए आम नागरिकों की लंबी कतारें लगी थीं नेताओं की श्रद्धांजलि और जनता का आक्रोश राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षामंत्री शरद पवार स्वयं दोनों परिवारों से मिलने पहुंचे और उन्होंने भावुक श्रद्धांजलि अर्पित की.

केंद्रीय सहकारिता और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल, राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी, नगर विकास राज्यमंत्री माधुरी मिसाल, विधायक हेमंत रासने, पूर्व महापौर प्रशांत जगताप, भाजपा शहराध्यक्ष धीरज घाटे, मनसे नेता बाला नांदगावकर, पूर्व विधायक मोहन जोशी, पूर्व महापौर अंकुश काकड़े, पूर्व महापौर प्रशांत जगताप, उप महापौर दीपक मानकर, भाजपा शहराध्यक्ष धीरज घाटे, संदीप खर्डेकर, सहित कई नेता और पूर्व नगरसेवक अंतिम यात्रा में शामिल हुए.\
इस दौरान श्मशान भूमि में भारी पुलिस बंदोबस्त तैनात किया गया था. इस दौरान आक्रोशित नागरिकों और कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की. ‘पाकिस्तान-मुर्दाबाद, ‘कश्मीर हमारा है’, ‘पर्यटकों की मौत का बदला जरूर लेंगे’ जैसे गगनभेदी नारे पूरे वातावरण में गूंजते रहे.
संतोष जगदाले को बेटी आसावरी ने दी मुखाग्नि
संतोष जगदाले को उनकी बेटी आसावरी ने मुखाग्नि दी. उस समय उनकी पत्नी प्रगति और मां भी वहीं मौजूद थीं कौस्तुभ गनबोटे को उनके बेटे कुणाल ने अंतिम अग्नि दी. उनकी पत्नी संगीता आंखों में आंसू लिए अंतिम विदाई में शामिल थी. संतोष और कौस्तुभ न केवल घनिष्ठ मित्र थे, बल्कि स्कूल के दिनों से एक-दूसरे के साथ रहे. इस बार दोनों परिवार कश्मीर घूमने गए थे और वहां उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अंतिम संस्कार के बाद शांति मंत्र का पाठ हुआ और विद्युत दाहिनी के माध्यम से दोनों मित्रों को पंचतत्व में विलीन किया गया.
दोस्ती की मिसाल आखिरी सांस तक साथ रहे
संतोष जगदाले और कौस्तुभ गनबोटे की आंतकी हमले में मृत्यु न केवल दो परिवारों का निजी शोक था, बल्कि पूरे पुणे शहर का दुख था. शहर ने दो बेटे खोए हैं, हर चेहरे पर मायूसी थी, हर आंख से अश्रुधारा बह रही थी. पुणे ने आज अपने दो सपूतों को नम आंखों से विदा किया एक साथ, उस दोस्ती की मिसाल के साथ जो जीवन की आखिरी सांस तक अटूट रही.