अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ लाखाें लाेगाें ने सड़काें पर उतरकर प्रदर्शन किया. उनकी मनमानी नीतियाें काे लेकर लाेगाें में गुस्सा फूट पड़ा. लाेगाें ने पूरे देश में 1400 से ज्यादा रैलियां निकालकर अपना विराेध दर्ज कराया. लाेग उद्याेगपति एलन मस्क का भी काफी विराेध कर रहे हैं. अमेरिकी विशेषज्ञाें ने अपनी प्रतिक्रिया व्य्नत करते हुए कहा है - ट्रम्प का टैरिफ खुद अमेरिका पर भारी पड़ सकता है. उनकी नीतियाें से दुनिया भर के शेयर बाजार धराशायी हाे रहे हैं. उधर ट्रम्प ने कहा है कि नए पारस्परिक आयात शुल्क के लागू हाेने से देश में आर्थिक क्रांति आयेगी.अमेरिकी राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा जनवरी से लागू की गई विवादास्पद नीतियाें के खिलाफ पूरे अमेरिका के दर्जनाें शहराें में विराेध प्रदर्शन किया गया.
अर्थव्यवस्था, आव्रजन और मानवाधिकाराें के मुद्दे पर ट्रम्प का विराेध करने के लिए प्रदर्शनकारियाें की भीसड़काें पर उतरी.नागरिक अधिकार संगठनाें, श्रमिक संघाें और सेवानिवृत्त सैनिकाें के संघाें सहित 150 से अधिक समूहाें के गठबंधन द्वारा आयाेजित इस समन्वित कदम के परिणामस्वरूप पूरे देश में 1,400 से अधिक विराेध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी राज्य राजधानियाें, संघीय भवनाें, कांग्रेस कार्यालयाें, सामाजिक सुरक्षा प्रशासन मुख्यालयाें, नगर भवन और सार्वजनिक पार्काें में एकत्रित हुए.हैंड्स ऑफ के बैनर तले किए गए इस आंदाेलन में कई तरह के विराेध प्रदर्शन और नारे शामिल थे, जैसे कुलीनतंत्र का अंत कराे, गाजा काे जीने दाे और सामाजिक सुरक्षा बचाओ. अभियान की आधिकारिक वेबसाइट पर एक लेख में कहा गया कि यह आधुनिक इतिहास में सबसे बेशर्मी से सत्ता हथियाने काे राेकने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर लामबंदी है.
ट्रम्प, मस्क और उनके अरबपति मित्र हमारी सरकार, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे मूल अधिकाराें पर पूर्ण आक्रमण की याेजना बना रहे हैं, जिसे हर कदम पर कांग्रेस द्वारा समर्थित किया जा रहा है. कुछ निर्वाचित अधिकारी भी इस अभियान में शामिल हुए. बाेस्टन की मेयर मिशेल वू ने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनके बच्चे और अन्य लाेग ऐसी दुनिया में रहें जहां धमकी और भय ही सरकार का साधन हाे और विविधता और शांति जैसे मूल्याें पर हमला हाे.आयाेजकाें के अनुसार, लगभग 600,000 लाेगाें ने हैंड्स ऑफ आंदाेलन के लिए हस्ताक्षर किए हैं. पदभार ग्रहण करने के बाद से ट्रम्प प्रशासन काे व्यापक नीतिगत परिवर्तनाें के लिए भारी आलाेचना का सामना करना पड़ा है, जिसमें संघीय एजेंसियाें में बड़े पैमाने पर छंटनी, आप्रवासियाें का निर्वासन, बजट में भारी कटाैती और कई देशाें पर टैरिफ लगाना शामिल है.